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tarbandi ke liye anudan

इन राज्यों की सरकारें खेत के चारों तरफ ताराबंदी करवाने के लिए दे रही हैं सब्सिडी

इन राज्यों की सरकारें खेत के चारों तरफ ताराबंदी करवाने के लिए दे रही हैं सब्सिडी

एक बार फसल उत्पादन के बाद उसकी देखरेख में भी किसानों को बहुत ज्यादा समय और धन राशि लगाने की जरूरत होती है। कभी-कभी छोटी-मोटी दुर्घटनाओं या फिर प्राकृतिक कारणों से पूरी की पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। जिसका पूरा नुकसान किसानों को उठाना पड़ता है। आजकल हम देख रहे हैं, कि देश में बहुत से लाखों से आवारा पशुओं की संख्या बढ़ने की खबर आती रहती है। यह पशु इधर-उधर किसी आश्रय की तलाश में घूमते रहते हैं। जब नहीं भूख लगती है, तो ज्यादातर ये खेतों की ओर अपना रुख करते हैं। भूखे पशुओं के पास कोई चारा नहीं होता वह पूरी की पूरी फसल को खा जाते हैं या फिर बर्बाद कर देते हैं।
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सरकार समय-समय पर आवारा प्रश्नों के रहने के लिए भी कुछ ना कुछ सुविधा का इंतजाम करती रहती है। लेकिन साथ ही हमें खेतों में खड़ी हुई अपनी फसल को बचाने के लिए भी कुछ ना कुछ करने की जरूरत है। हाल ही, में राजस्थान सरकार ने इसका समाधान खोज निकाल लिया है। राजस्थान में चलाई जा रही मुख्यमंत्री कृषक साथी योजना के तहत फसल सुरक्षा मिशन अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत खेत की तारबंदी के लिए नए मापदंड निर्धारित हुए हैं। इससे फसल की सुरक्षा करने में खास मदद मिलेगी।

फेंसिंग की ऊंचाई करवाएं 15 फीट ऊंचाई

किसानों के सुझावों पर अमल करते हुए राजस्थान सरकार ने फसल सुरक्षा मिशन के तहत तारबंदी के मापदंडों में बदलाव किया है। इस मामले में कृषि आयुक्त कानाराम शर्मा बताते हैं, कि अब किसान तारबंदी में 6 हॉरिजोंटल और 2 डायगोनल वायर के स्थान पर 5 होरिजेंटल और 2 डायगोनल के हिसाब से तारबंदी करा सकते हैं। अगर पहले की बात करें तो पहले 10 फीट की दूरी पर ही पिलर लगाकर ही तराबंदी करवाई जा सकती थी। लेकिन अब इस दूरी को बढ़ाकर 15 फीट कर दिया गया है। अब 15 फीट की दूरी पर पिलरों को स्थापित करके फेंसिंग की जा सकती है। पहले एक्स्ट्रा पिलर का सपोर्ट 10 वें पिलर पर दिया जाता था। लेकिन अब उसमें भी बदलाव करते हुए इसे 15वें पिलर पर कर दिया गया है।

किस हिसाब से मिलेगा अनुदान

अजय सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन की बात माने तो किसान या तो केवल अकेले ही या फिर किसानों का समूह बनाकर तारबंदी करवा सकते है। फसल सुरक्षा मिशन के तहत हर किसान को 400 रनिंग मीटर की सीमा तक की तारबंदी के लिए ही अनुदान दिया जाएगा। अगर आपके खेत की परिधि से ज्यादा है तो आपको खुद का खर्च करते हुए खेत के चारों ओर कच्ची पक्की दीवार या फिर तारबंदी करवानी होगी।

कितनी होगी अनुदान की राशि

  • मुख्यमंत्री कृषक साथी स्कीम के तहत फसल सुरक्षा मिशन 'तारबंदी योजना' में आवेदन करके किसान 40 से 60 फीसदी तक अनुदान ले सकते हैं।
  • लघु और सीमांत किसानों के लिए तारबंदी की लागत का 60% सब्सिडी यानी अधिकतम 48,000 रुपये का अनुदान दिए जाने की बात की गई है।
  • अन्य वर्ग के किसानों के लिए तारबंदी के खर्च पर 50% की सब्सिडी या 40,000 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।

कहां करें आवेदन

अगर आप राजस्थान के किसान हैं और खुद की जमीन पर खेती करते हैं। तो आप जिले के कृषि विभाग के कार्यालय में जाकर तारबंदी करवाने के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं। खेत की तारबंदी पर अनुदान लेने के लिए राज किसान पोर्टल rajkisan.rajasthan.gov.in पर भी आवेदन कर सकते हैं।
खुशखबरी: इस दवा के उपयोग से आवारा पशु फसल से दूर भाग जाएंगे 

खुशखबरी: इस दवा के उपयोग से आवारा पशु फसल से दूर भाग जाएंगे 

देखा जा रहा है कि प्रति वर्ष कृषकों के द्वारा उत्पादित की गयी फसलों को छुट्टा पशु लाखों रुपये में हानि पहुँचाते हैं। वर्तमान में राज्य सरकार हरबोलिव नामक ऐसी ही औषधियों को बढ़ावा देगी। इसकी वजह से असहाय पशु किसानों के खेत में हानि नहीं कर पाएँगे। छुट्टा आवारा पशु प्रत्येक राज्य के किसानों हेतु बड़ी परेशानी रही हैं। किसानों की लाखों रुपये की खड़ी फसल को यह आवारा पशु नष्ट कर देते हैं। जो फसल इनसे बचती है, उसको प्राकृतिक आपदाएं तहस-नहस कर दिया जाता है। असहाय एवं आवारा पशु कृषकों की फसलों को बर्बाद कर रही हैं। इस समस्या के समाधान हेतु प्रत्येक राज्य में प्रयास किए जा रहे हैं। तारबंदी के अतिरिक्त भी किसान पशुओं से फसल बर्बाद होने से संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। परंतु, असहाय एवं छुट्टा पशु काबू में नहीं आते हैं। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा कृषकों की फसलों के संरक्षण हेतु बड़ी पहल की गई है।  

उत्तर प्रदेश सरकार हरबोलिव दवा को प्रोत्साहित करेगी 

उत्तर प्रदेश राज्य में कृषि विभाग फिलहाल छुट्टा पशुओं को फसल से दूर करने की दिशा में कार्य कर रही है। वर्तमान में राज्य सरकार ऐसी औषधी को बढ़ावा देगी। इसकी केवल गंध से ही छुट्टा आवारा पशु खेतों के अंदर नहीं घुस पाएंगे। इस गंध की वजह से जो पशु किसानों को फसलीय हानि पहुँचाते हैं। वह उस हानि से बच सकते हैं। इससे किसानों को वार्षिक लाखों रुपये का लाभ होगा।
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हरबोलिव दवा के उपयोग से फसल का पशुओं से संरक्षण 

राज्य सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि हरबोलिव नामक औषधि फसल की गंध को पशुओं तक पहुँचने से रोकने में सहायता करती है।  मतलब कि आवारा पशु जिस गंध को महसूस करके फसल को बर्बाद करने जाते है। वह गंध उन तक नहीं पहुँचती है। वह गंध औषधि की वजह से उन तक पहुँच ही नहीं सकती है। इस औषधि का एक और फायदा यह होगा, कि यह छुट्टा एवं आवारा पशुओं हेतु फसल के स्वाद को काफी खराब कर देती है। अगर किसी वजह से पशु फसल को खाने का प्रयास भी किया जाए तब भी वह फसल को नहीं खा सकते हैं। इससे पशुओं को मजबूरन खेत छोड़ना पड़ता है।  

इस दवा से फसल को कोई हानि नहीं होती है 

इस औषधि की एक विशेष बात यह है, कि यह दवा किसी प्रकार की कोई भी हानि फसल को नहीं होती होती है। यह औषधि फसल की जैविक प्रकृति बरकरार रखती है। खेत की मृदा के जैविक गुणों में वृद्धि कर उसको और ज्यादा उर्वरक बनाने का कार्य करती है। फल, फूल, सब्जी, दलहन, तिलहन जैसी विभिन्न फसलों हेतु भी यह दवा बेहतर होती है।